Dainik Jagran has the following news article covering the student agitation at iiit allahabad
Apr 01, 09:41 pm
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में छात्रों का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। संस्थान ने प्रशासन और पुलिस के माध्यम से छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश की। दूसरे दिन छात्रों ने निदेशक के इस्तीफे और घटना की सीबीआइ जांच की मांग की।
छात्रों ने आरोप लगाया कि संस्थान की ओर से उन्हें बार-बार छात्रावास खाली कराने की धमकियां मिल रही हैं। संस्थान प्रांगण छावनी में तब्दील कर दिया गया है। मीडिया सहित किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश में पाबंदी लगा दी गई है। दिन भर किसी को परिसर में घुसने की इजाजत नहीं मिली। सम्पूर्ण प्रकरण पर संस्थान के निदेशक डा. एमडी तिवारी का कहना है कि छात्र किसी के बहकावे में आकर इस प्रकार की हरकत कर रहे हैं। सभी छात्र आइआइआइटी परिवार का हिस्सा हैं। उधर आइसा ने छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया है। प्रदेश सचिव का कहना है कि संस्थान के प्रमुख 11 साल से निदेशक पद पर कार्यरत हैं। उनकी खिलाफत करने वाले छात्रों और शिक्षकों को परेशान किया जाता है। उन्होंने निदेशक की सम्पत्ति की जांच कराने की बात कही। उधर एसएफआइ के जिला संयोजक का कहना है कि घटना के प्रति संस्थान का रवैया अमानवीय है। संस्थान में छात्रावास की पर्याप्त सुविधा होने के बावजूद छात्रों को नैनी के छात्रावास में रखा जाता है। बसों की व्यवस्था ठीक नहीं है, शिकायत करने के बाद मामले की अनदेखी कर दी जाती है। छात्र संगठनों ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की।
छात्रों ने आरोप लगाया कि संस्थान की ओर से उन्हें बार-बार छात्रावास खाली कराने की धमकियां मिल रही हैं। संस्थान प्रांगण छावनी में तब्दील कर दिया गया है। मीडिया सहित किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश में पाबंदी लगा दी गई है। दिन भर किसी को परिसर में घुसने की इजाजत नहीं मिली। सम्पूर्ण प्रकरण पर संस्थान के निदेशक डा. एमडी तिवारी का कहना है कि छात्र किसी के बहकावे में आकर इस प्रकार की हरकत कर रहे हैं। सभी छात्र आइआइआइटी परिवार का हिस्सा हैं। उधर आइसा ने छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया है। प्रदेश सचिव का कहना है कि संस्थान के प्रमुख 11 साल से निदेशक पद पर कार्यरत हैं। उनकी खिलाफत करने वाले छात्रों और शिक्षकों को परेशान किया जाता है। उन्होंने निदेशक की सम्पत्ति की जांच कराने की बात कही। उधर एसएफआइ के जिला संयोजक का कहना है कि घटना के प्रति संस्थान का रवैया अमानवीय है। संस्थान में छात्रावास की पर्याप्त सुविधा होने के बावजूद छात्रों को नैनी के छात्रावास में रखा जाता है। बसों की व्यवस्था ठीक नहीं है, शिकायत करने के बाद मामले की अनदेखी कर दी जाती है। छात्र संगठनों ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की।
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